वो जो था वो कभी मिला ही नहीं | |
सो गरेबाँ कभी सिला ही नहीं | |
उस से हर दम मोआ'मला है मगर | |
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं | |
बे-मिले ही बिछड़ गए हम तो | |
सौ गिले हैं कोई गिला ही नहीं | |
चश्म-ए-मयगूँ से है मुग़ाँ ने कहा | |
मस्त कर दे मगर पिला ही नहीं | |
तू जो है जान तू जो है जानाँ | |
तू हमें आज तक मिला ही नहीं | |
मस्त हूँ मैं महक से उस गुल की | |
जो किसी बाग़ में खिला ही नहीं | |
हाए 'जौन' उस का वो पियाला-ए-नाफ़ | |
जाम ऐसा कोई मिला ही नहीं | |
तू है इक उम्र से फ़ुग़ाँ-पेशा | |
अभी सीना तिरा छिला ही नहीं | |
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