अपनी मंज़िल का रास्ता भेजो | |
जान हम को वहाँ बुला भेजो | |
क्या हमारा नहीं रहा सावन | |
ज़ुल्फ़ याँ भी कोई घटा भेजो | |
नई कलियाँ जो अब खिली हैं वहाँ | |
उन की ख़ुश्बू को इक ज़रा भेजो | |
हम न जीते हैं और न मरते हैं | |
दर्द भेजो न तुम दवा भेजो | |
धूल उड़ती है जो उस आँगन में | |
उस को भेजो सबा सबा भेजो | |
ऐ फकीरो गली के उस गुल की | |
तुम हमें अपनी ख़ाक-ए-पा भेजो | |
शफ़क़-ए-शाम-ए-हिज्र के हाथों | |
अपनी उतरी हुई क़बा भेजो | |
कुछ तो रिश्ता है तुम से कम-बख़्तों | |
कुछ नहीं कोई बद-दुआ' भेजो | |
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