रात भर तो जलो - कुमार विश्वास


मैं तुम्हारे लिए, जि़न्दगी भर दहा
तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो
मैं तुम्हारे लिए, उम्र भर तक चला
तुम भी मेरे लिए सात पग तो चलो

दीपकों की तरह रोज़ जब मैं जला
तब तुम्हारे भवन में दिवाली हुई
जगमगाता, तुम्हारे लिए रथ बना
किन्तु मेरी हर एक रात काली हुई

मैंने तुमको नयन-नीर सागर दिया
तुम भी मेरे लिए अंजुरी भर तो दो
मैं तुम्हारे लिए जि़न्दगी भर दहा
तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो

 

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