माँ को देखा कि वो बेबस-सी परेशान सी है |
अपने बेटे के छले जाने पे हैरान-सी है |
वो बड़ी दूर चली आई है मुझसे मिलने |
मेरी उम्मीद की झोली का फटा मुंह सिलने |
उसकी आँखों में पिता मुझको दीख जाते हैं |
कभी उद्धव तो कभी नंद नज़र आते हैं |
वो निरी मां की तरह प्यार से दुलारती है |
ज़िन्दगी कितनी अहम चीज है बतलाती है |
उसको डर है कि उसका चाँद-सा प्यारा बेटा |
जिसके गीतों की चूनर ओढ़ के दुनिया नाचे |
जिसके होंठों की शरारत पे मुहब्बत है फ़िदा |
जिसके शब्दों में सभी प्यार की गीता बांचें |
उसका वो राजकुंवर ओस की बून्दों की तरह |
दर्द की धूप से दुनिया से उड़ न जाये कहीं |
शोहरत-ओ-प्यार की मंजिल की तरफ़ बढ़ता हुआ |
शौक से मौत की राहों पे मुड़ न जाये कहीं |
उसको लगता है मेरा नर्म-सा नाजुक-सा जिगर |
दूरियाँ सह नहीं पाएगा बिख़र जायेगा |
उसको मालूम नहीं आग में सीने की मेरी |
मेरा शायर जो तपेगा तो निखर जायेगा |
मुझको मालूम है दुनिया के लिए जीना है |
इसलिए माँ मेरी हैरान-परेशान न हो |
मेरी खुशियां तू मुझे दे न सकीं, इसके लिए |
बेवजह खुद पे शर्मशार, पशेमान न हो |
एक तू है, कि जिसे दर्द है दुनिया के लिए |
एक वो है, कि जिसे खुद पे कोई शर्म नहीं |
एक तू है, कि जिसे ममता है पत्थर तक से |
एक वो पत्थर दिल, दिल में कोई मर्म नहीं |
मैं उसको भूल ही जाऊंगा वायदा है मेरा |
मैं उसकी हर बात जुबां पर न कभी लाऊंगा |
मेरा हर जिक्र उसकी फ़िक्र से जुदा होगा |
मैं उसका नाम किसी गीत में न गाऊंगा |
मुझको मालूम है वादे की हक़ीक़त लेकिन |
तेरा दिल रखने की खातिर ये वायदा ही सही |
मुझको वो प्यार की दुनिया ना मिली ना ही सही |
खुद को मैं पढ़ तो सका इतना फ़ायदा ही सही |
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