कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की |
साँसों के पृष्ठों पर, आँसू के रंगों से |
कैसे तस्वीरें बन पाएँगी चाव की |
मरुथल-सा प्यासा हर पल-सा बीता-बीता |
कब तक हम भोगेंगे जीवन रीता-रीता |
धरती के उत्सव में, चंदा में, तारों में |
गीतों में, ग़ज़लों में, रागों मल्हारों में |
गूँजेंगी कब तक धुन बिछुरन के भाव की |
कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की |
कब फिर पनघट से पायल की धुन आएँगी |
कब फिर साजन का सँदेशा ऋतु लाएँगी |
कैसे पतझर बीते, जीवन के सावन में |
तन की सुर-सरिता में मनवा के आँगन में |
उतरेंगीं किन्नरियाँ सपनों के गाँव की |
कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की |
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