कैसे ऋतु बीतेगी - कुमार विश्वास

  

 
कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की
साँसों के पृष्ठों पर, आँसू के रंगों से
कैसे तस्वीरें बन पाएँगी चाव की

मरुथल-सा प्यासा हर पल-सा बीता-बीता
कब तक हम भोगेंगे जीवन रीता-रीता
धरती के उत्सव में, चंदा में, तारों में
गीतों में, ग़ज़लों में, रागों मल्हारों में
गूँजेंगी कब तक धुन बिछुरन के भाव की
कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की

कब फिर पनघट से पायल की धुन आएँगी
कब फिर साजन का सँदेशा ऋतु लाएँगी
कैसे पतझर बीते, जीवन के सावन में
तन की सुर-सरिता में मनवा के आँगन में
उतरेंगीं किन्नरियाँ सपनों के गाँव की
कैसे ऋतु बीतेगी अपने अलगाव की
 

  << Prev     Home     Poetry List    Next >>

Post a Comment

0 Comments