है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर |
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं |
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय |
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं |
है नमन उस देहरी को जिस पर तुम खेले कन्हैया |
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं |
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय |
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये |
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाए |
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है |
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी |
सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे |
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है |
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी |
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है |
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन |
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं |
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय |
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं |
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे |
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है |
राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं |
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है |
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे |
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है |
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन |
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं |
कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने |
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है |
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय |
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये |
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