कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं - HEMRAJ




कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं,
क्या मैं वो हूँ, जो सबने बताया हैं,
या फिर वो जो सबने छुपाया हैं,
अपना हूँ मैं सबका लोग कहते हैं,
या वो जो सबसे पराया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

कभी अपनो का बना दुश्मन भी तो हूँ मैं,
फिर क्यों दुश्मनों ने भी मुझे अपना बताया हैं,
बना किसी की आशा का दीपक भी तो हूँ मैं,
पर किसी का अन्धकार भी मेरा साया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

क्या मृदंग नाध हूँ मैं, किसी विजय का,
या किसी हार से, ये कोलाहल आया हैं,
क्या कोई सैनिक हुँ मैं, खड़ा किसी रण में,
या हूँ वो, जो रणभूमि छोड़ भाग आया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

क्या हूँ जल मैं स्वाती नक्षत्र का, जो शीप में आ समाया हैं,
या बन गया हूँ बस वो बूँद मैं, जो भुजंग मैन भाया हैं,
या बन गया हूँ प्यास चातक की, प्रेम खींच जमी पे लाया हैं,
बन तो नहीं गया मैं बूँद उस पत्ते की, लोंगो ने जिसे जलाया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

कभी बना हूँ सोच बीते कल की,
प्रेम गाँव का भर मन आया हैं,
कभी बना हूँ सोच आज की,
शहर के लिए मन ललचाया हैं,
जब की कल्पना एक नये काल की,
मन मेरा तब कपकपाया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!
कभी बना हूँ, कठोर सोच एक पिता की मैं,
तो कभी मुझमे, दुलार एक माँ का समाया हैं,
कभी बना हूँ मजबूत ढाल भाई की मैं,
कभी बहन का मार्गदर्शक खुदको बनाया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!

सच्चों का बना स्वाभिमान मैं,
झूँठों को नज़रों से गिराया हैं,

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!
------soon--------

कौन मेरा किरदार समझ पाया हैं !!


📝✍️ HEMRAJ

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