जानते हो? । Jante Ho poetry By HEMRAJ



हमारी ज़िंदगी मे एक ऐसा मोड़ भी आता है जब हम  जिससे प्यार करते हैं वो किसी और से प्यार करने लगता हैं । इस बात का दुःख हमे कम होता भी हो लेकिन जब वही हमारे प्यार का मज़ाक बना कर हमारे सामने किसी और कि बढ़ाई करता हैं तो दिल बहुत दुखी होता हैं हम जानते है, कि वो शख्स न तो हमारे लिए अच्छा था न उस रक़ीब के लिये, पर हम अपनी मोहब्बत को याद करके उससे कुछ नई कहते। 

लेकिन दिल मे जो बात है वो हम कहने के लिए बहुत परेशान भी रहते हैं, इस समय पे अगर हम रक़ीब मिल जाये तो उसको सारी सच्चाई बताना चाहते हैं पर कह नही पाते।

ऐसी ही कुछ सच्चाई को अपनी कविता के माध्यम से आप लोगों को समर्पित करने की कोशिस की हैं।

अगर अच्छी लगे तो और लोगों तक पहुंचाने में मद्दत करे।

बड़ा समझदार हूँ, कहते हो खुदको, 
क्या है सबसे बड़ी, ख़ता जानते हो,

बड़े खुश मालूम देते हो आजकल,
जिसे कहते है लोग मोहब्बत, रक़ीब,
क्या उस मोहब्बत की, सजा जानते हो,

वो आंखे, वो जुल्फ़े, वो होंठ, सबकुछ,
याद कर लिये होंगे, ये मान लेता हूँ मैं,
तो क्या दर्दे-ए-दिल की, दवा जानते हो,

आज जो इतना हँसकर देख रहे हो मुझे,
बात बड़ी पुरानी हैं, हँसे हम भी थे बहुत,
क्या मेरे इन हालातों की वज़ह जानते हो,

जिसकी एक गलती माफ़ कर दी आज तूने,
खेल तेरा भी सही , उसका भी सही हैं, पर,
वो हर रोज करती है, हज़ारों ख़ता जानते हो,

अच्छा हैं, की हैं आज ये जो एक पहल तूने,
ये जो जेहन में अपने, बना लिया महल तूने,
टूटना है एक रोज़, खोखली है इसकी हर सतह जानते हो,

एक झलक को उसकी,कर सकता कुछ भी,
ये सब होना, नाज़मी है, मन लेता हूँ चल पर,
देखना कभी निगाह से मेरे, तब याकि होगा,
दिखावटीपन की है ये सब अदा जानते हो,

आज तेरे पास कुछ तो है, मुझसे ज्यादा सुन,
ये चंद दिनों की महफ़िल हैं, यकीं कर मेरा,
साथ तेरा भी न दे सकेगा, वो खुदा जानते हो,

कभी सच सुनने का, हो जाये जज्बा दिल मैं,
करके पत्थर दिल अपना, आना पास मेरे तू,
दिल का पुराना व्यापारी हुँ,गिनाउंगा तुझको,
अब रोना है, पछताना है, कितनी दफ़ा जानते हो,

एक मोड़ तेरी ज़िन्दगी में भी आना है, मान,
देखकर आइना, तू भी सोचेगा मेरी ही तरह,
इस मतलबी, खुदगर्ज ज़माने में मेरे यार तू,
तू ही है बस मेरे जीने की वजह जानते हो,

🇳🇪📝 HEMRAJ

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